विकेटकीपर तानिया की कहानी: लड़कों के साथ खेलता देख जो रिश्तेदार ताना मारते थे, आज वही गर्व से उनका नाम लेते हैं

 तानिया भाटिया... भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह खिलाड़ी आज जाना-पहचाना चेहरा है। खेल के साथ ही वह अपनी खूबसूरती से भी कई लोगों का दिल जीत चुकी हैं। लेकिन, इस पहचान को बनाना इतना भी आसान नहीं रहा। लोगों-रिश्तेदारों के ताने सहना पड़े। बावजूद, खेलना जारी रखा और लंबे संघर्ष के बाद चंडीगढ़ की यह लड़की विकेटकीपर तानिया भाटिया बनी।

चंडीगढ़ की पहली इंटरनेशनल महिला क्रिकेटर तानिया 8 मार्च को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में भारत की ओर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 वर्ल्डकप का फाइनल खेलेंगी। तानिया आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जानी जाती हैं। उनकी विकेटकीपिंग भी शानदार है। दाएं हाथ की विकेटकीपर बल्लेबाज तानिया ने 2018 में अपना टी20 और एकदिवसीय डेब्यू किया।

पिता संजय भाटिया बताते हैं, 'जब तानिया ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो लोगों और रिश्तेदारों ने काफी बोला कि अकादमी में अकेली लड़की लड़कों के बीच खेलती है। अच्छा नहीं लगता...। आज वही लोग तानिया पर गर्व करते हैं। उन्होंने बताया, 'मैंने और पत्नी ने कभी लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि उस वक्त बीसीसीआई भी महिला क्रिकेट पर ध्यान नहीं देती थी, पर भरोसा था कि भविष्य में महिला इंडियन क्रिकेट टीम जरूर बनेगी।'

पिता ने बताया, 'तानिया रिजर्व नेचर की हैं। ट्रेनिंग के दौरान वह अकेले ही रोज दो घंटे सेल्फ स्टडी करती थीं। उनका कोई फ्रेंड न तब था, न अब है। न वह किसी के घर जाती हैं। जब भी 3-4 दिन के लिए आती हैं, घर पर ही रहती हैं और मां के हाथ का खाना ही खाती हैं।' वह आगे बताते हैं- 'तानिया बचपन से टॉम ब्वॉय की तरह रही है। खेल के प्रति उसमें जुनून है। कभी कोचिंग मिस नहीं की। अगर ग्राउंड पर पहुंचने का समय दोपहर 3 बजे का होता था तो वह हमेशा 10 मिनट पहले पहुंच जाती थी। लेट होने पर घर में हंगामा खड़ा कर देती थी।'

7 साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था
तानिया ने सेंट एनिस स्कूल सेक्टर-32 से स्कूलिंग की है। अब एमसीएम डीएवी कॉलेज फॉर विमन में बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं। 7 साल की उम्र में तानिया ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। पहले डीएवी स्कूल सेक्टर-8 में पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह के पास कोचिंग शुरू की, फिर सेक्टर-36 स्थित पीसीए की अकादमी में पूर्व क्रिकेटर आरपी सिंह के पास कोचिंग ज्वॉइन की। तानिया के कोच आरपी सिंह के मुताबिक- वह हमेशा ही एक हार्डवर्किंग क्रिकेटर रहीं हैं। उन्होंने दूसरों से ज्यादा और हटकर ट्रेनिंग की, टेक्निकली भी मजबूत हैं। इसी का नतीजा है कि वह आज इतने बड़े लेवल पर खेल रही हैं।

बेटी के सपने में देखता हूं अपना सपना
तानिया के पिता रणजी ट्रॉफी के संभावितों में रहे थे, लेकिन उन्हें डेब्यू करने का मौका नहीं मिला। संजय सेंट्रल बैंक में मैनेजर हैं। वह बताते हैं, 'तानिया को नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए 12 साल लग गए। मैं क्रिकेटर नहीं बन सका, लेकिन बेटी ने मेरा सपना पूरा कर दिया।' संजय के भाई और तानिया के चाचा भी विकेट कीपर बैट्समैन रहे हैं। तानिया के भाई सहज भाटिया भी चंडीगढ़ के लिए क्रिकेट खेलते हैं। बड़ी बहन लॉ ग्रेजुएट हैं।

पिता छिप-छिप कर देखते थे तानिया का क्रिकेट
संजय ने बताया, 'बैंकर होने की वजह से मेरे ट्रांसफर्स होते रहते थे। करीब 10 साल घर से दूर रहा। तानिया की मां ही उसे कोचिंग के लिए ले जाती थी। जब भी मैं घर आता था तो उसे छिप-छिप कर क्रिकेट खेलते देखता था। एक बार मैं घर आया तो उसका मैच था। उस वक्त वह 11 साल की थी और अंडर-19 में पंजाब की ओर से बैटिंग कर रही थी। तानिया ने उस मैच में 70 रन स्कोर किए थे।

बुरे दौर से गुजरीं तो मां ने बढ़ाया हौसला
तानिया भी एक समय बुरे दौर से गुजरीं। इस वजह से क्रिकेट में लगभग उनकी दिलचस्पी कम हो गई थी, लेकिन उनकी मां ने कठिन समय के दौरान उनका हौसला बढ़ाया। इसके बाद तानिया ने बुरे दौर से निकलकर एक बार फिर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। मां सपना ने घर को मंदिर बना लिया है। जब घर नहीं होतीं तो वह किसी न किसी मंदिर में इंडियन क्रिकेट टीम की जीत और अपनी बेटी की बेहतर परफॉर्मेंस के लिए प्रार्थना करते हुए मिलती हैं।

मैंने कहा- फ्री माइंड से खेलना, प्रेशर नहीं लेना: संजय
संजय ने बताया, 'टूर्नामेंट के दौरान मैं तानिया को कभी डिस्टर्ब नहीं करता। लेकिन, बुधवार को सेमिफाइनल मैच के दिन मेरी तानिया से बात हुई। मैंने उसे यही कहा कि बड़ा मैच है, बड़ी ट्रॉफी जीतने का मौका है। ऑस्ट्रेलिया की टीम प्रेशर बनाने की पूरी कोशिश करेगी, पर आप प्रेशर से नहीं, फ्री माइंड से खेलना। इंडियन विमन क्रिकेट टीम को सिर्फ बैटिंग पर काम करने की जरूरत है। बाकी सब सही है।

कम समय में हासिल किए बड़े मुकाम
21 साल की तानिया भाटिया को महज 11 साल की उम्र में पंजाब अंडर-19 टीम में जगह मिल गई थी। अंडर-19 में शानदार प्रदर्शन की बदौलत तानिया महज 16 साल की उम्र में सीनियर स्टेट टीम के लिए चुनी गईं। उन्होंने नॉर्थ जोन का प्रतिनिधित्व किया और वह 2015 में अंडर-19 नॉर्थ जोन की कप्तान भी रह चुकी हैं। वह अंडर-19 स्तर पर पंजाब की ओर से क्रिकेट खेलने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं।


Popular posts
ग्रेसी सिंह से मिलने 72 साल की मधु लखनऊ से मुंबई पहुंचीं, गिफ्ट की चंदेरी साड़ी
आईआईटी के छात्रों ने बनाई F1 कार और हबलेस व्हील वाली इलेक्ट्रिक बाइक, 100km से ज्यादा है बाइक की रेंज
Image
पिछले 8 सीजन में चौथी बार फाइनल में पहुंचीं सौराष्ट्र और बंगाल के बीच मैच आज से; पुजारा-साहा मैदान पर उतरेंगे
बांग्लादेश के नए वनडे कप्तान होंगे तमीम इकबाल; मोर्तजा और शाकिब कॉन्ट्रैक्ट लिस्ट से बाहर
Image